Ahoi Astami 2022 : अहोई यानी अनहोनी ये एक तरह से अनहोनी का अपभ्रंश शब्द है। देवी पार्वती जिन्हें अनहोनी को टालने वाली देवी भी माना जाता है।उनकी पूजा-अर्चना कर माताएं अपनी संतान की सुख, समृद्धि और दीर्घायु होने की कामना करतीं हैं, यही व्रत अहोई अष्टमी कहलाता है।ये व्रत करवा चौथ के चौथे दिन किया जाता है।ऐसी मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं खुदाई करने से बचें। अहोई अष्टमी के दिन महिलओं को मिट्टी से जुड़े कार्य करने से बचना चाहिए।अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने वाली औरतों को काले, नीले या डार्क कलर के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि वंश वृद्धि और संतान के सारे कष्ट और दुख दूर करने के लिए मां पार्वती और सेह माता की पूजा की जाती है।अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्तूबर यानी कल किया जाएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है।ऐसे में सोमवार का दिन अष्टमी तिथि यह दोनों चीजें इस व्रत को और भी खास बना रही हैं। अहोई अष्टमी का व्रत माता पार्वती को समर्पित है।
इस व्रत में माताएं निर्जला व्रत रखते हुए उदय होते तारों को देखकर व्रत का समापन करती हैं। जिस तरह करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का महत्व होता है, उसी प्रकार अहोई अष्टमी व्रत में तारों का विशेष महत्व माना जाता है।
Ahoi Astami 2022 : आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत की कथा
Ahoi Astami 2022 :सूर्योदय के साथ ही व्रत का आरंभ हो जाता है, जोकि रात में तारों को देखने के बाद ही पूरा होता है। कई जगह महिलाएं रात में चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं।ऐसा माना जाता है कि किसी भी व्रत और पूजा में कथा की बहुत अहमियत होती है। इसके बिना व्रत अधूर माना जाता है। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत की कथा।
Ahoi Astami 2022 पौराणिक कथा के अनुसार एक साहूकार अपने 7 पुत्रों और पत्नी के साथ रहता था। एक दिन साहूकार की पत्नी दिवाली से पहले घर की पुताई के लिए जंगल में पीली मिट्टी लेने गई।खदान में वह खुरपी से मिट्टी खोद रही थी। तब गलती से मिट्टी के अंदर मौजूद सेह का बच्चा उसके हाथों मर गया। इस दिन कार्तिक माह की अष्टमी थी। साहूकार की पत्नी को अपने हाथों हुई इस हत्या पर पश्चाताप करती हुई अपने घर लौट आई।Ahoi Astami 2022
कुछ समय बाद साहूकार के पहले बेटे की मृत्यु हो गई, अगले साल दूसरा बेटा भी चल बसा।उसके सातों बेटों का देहांत हो गया। साहूकार की पत्नी पड़ोसियों के साथ बैठकर विलाप कर रही थी। बार-बार यही कह रही थी कि उसने जान-बूझकर कभी कोई पाप नहीं किया। गलती से मिट्टी की खदान में मेरे हाथों एक सेह के बच्चे की मृत्यु हो गई।
Ahoi Astami 2022 : उसे सांत्वना देने के लिए पहुंची औरतों ने साहूकार की पत्नी से कहा कि यह बात बताकर तुमने जो पश्चाताप किया है। उससे तुम्हारा आधा पाप खत्म हो गया है। महिलाओं ने कहा कि उसी अष्टमी को तुम को मां पार्वती की शरण लेकर सेह ओर सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी आराधना करो। उनसे इस भूल की क्षमा मांगो।साहूकार की पत्नी ने ऐसा ही किया। हर साल वह नियमित रूप से पूजा और क्षमा याचना करने लगी। इस व्रत के प्रभाव से उसे सात पुत्रों की प्राप्ति हुई।