Dussehra 2022 भारत में कई जगह है जहां दशहरा के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। इस जगह दशहरा के दिन पूजा-पाठ होती है और मंदिर में जाकर मनोकामना भी मंगाते हैं।
Dussehra 2022बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में विजयदशमी पर रावण दहन की परंपरा करीब करीब पूरे भारत वर्ष में निभाई जाती है लेकिन देश के ही कुछ हिस्सों में इस दिन रावण की पूजा करने का विधान हैं। ऐसा होने के पीछे कई मान्यताएं और तथ्य प्रचलित हैं।
आइए जानें, देश के किन शहरों और गांवों में रावण का पूजन किया जाता है…Dussehra 2022
कोलार (कर्नाटक)
कोलार में रावण का एक बड़ा मंदिर भी बनाया गया है। कर्नाटक के अलावा, मालवल्ली में भी रावण का एक मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि कर्नाटक का एक मछुआरा समुदाय रावण की पूजा करता है। आप भी सोच रहे होंगे कि रावण न जलाने की आखिर परंपरा क्या है, तो बता दें, लोगों का मानना है कि आग लगाते ही फसल जलने या ठीक से नहीं होने का डर रहता है, जिस वजह से यहां लोग दशहरा नहीं मनाते।
काकिनाड
काकिनाड आंध्रप्रदेश में स्थित है। यहां रावण का मंदिर है। यहां के लोग रावण को शक्ति सम्राट मानते हैं। इस मंदिर में शिव के साथ रावण की पूजा की जाती है।
मंदसौर, मध्यप्रदेश
कहा जाता है कि मंदसौर का असली नाम दशपुर था और यह रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी का मायका था। मंदसौर रावण का ससुराल था इसलिए यहां दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण रावण के पुतले का दहन करने की बजाय उसे पूजा जाता है।
उज्जैन, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के चिखली गांव में भी रावण का दहन नहीं किया जाता। यहां के बारे में कहा जाता है, कि रावण की पूजा नहीं नहीं करने पर गांव जलकर राख हो जाएगा।
बिसरख, उत्तर प्रदेश Dussehra 2022
उत्तर प्रदेश के बिसरख गांव में भी रावण का मंदिर बना हुआ है और उसका पूजन होता है। ऐसा माना जाता है कि बिसरख गांव, रावण का ननिहल था।
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