Farming: गन्ने की खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है और गन्ने का उत्पादन में उत्तर प्रदेश एक नंबर पर है. आपको बता दें कि जब भी गन्ने की खेती की जाती है तो कई बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है नहीं तो पूरा फसल बर्बाद हो सकता है.
Farming: हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि गन्ने की खेती के समय आपको किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए और इन बातों का ध्यान ना रखने के कारण आप की फसल पर बहुत ही नकारात्मक असर पड़ सकता है.

Farming: नकदी फसल गन्ना की खेती देश में लाखों किसान हर साल करते हैं. आपको बता दें कि ठंड के मौसम में गन्ने की खेती की जाती है और यह किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. आप अगर पहली बार गन्ने की खेती करने वाले हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है.
बसंत कालीन बुवाई
Farming: मध्य फरवरी से मध्य मार्च बुवाई करें. इसके बाद बुवाई करनी हो तो बीज की दर कुछ बड़ा देनी चाहिए. 15 मार्च बाद बुवाई करने हेतु सी ओ 419 के बजाए सी ओ 1007 किस्म काम में लेनी चाहिए. शरदकालीन गन्ने की अपेक्षा बसन्तकालीन गन्ने में उपज अधिक प्राप्त होती है.
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शरदकालीन बुवाई
Farming: गन्ने की बुवाई अक्टूबर से भी की जा सकती हैं. इस समय बुवाई के दो लाभ हैं. गन्ने व शक़्कर की उपज बढ़ती है और साथ ही गेहूं सरसों या चुकुन्दर की मिश्रित फसल भी ली जा सकती है. इसके लिए गन्ने की बुवाई 15 से 20 अक्टूबर तक अवश्य कर देनी चाहिए. यह फसल 13 से 14 माह में तैयार हो जाती है.
ग्रीष्मकालीन बुवाई
Farming: देर से बुवाई (गेहूं के बाद मध्य अप्रैल में) इस स्थिति में गन्ना लेने पर 250 किलो नाइट्रोजन प्रति हक्टेयर डालें और गन्ने की किस्म सी ओ एल के 8001 बोए और कतार से कतार की दूरी 60 सेमी. रखे.

गन्ना बुवाई की विधि
Farming: गन्ने की बुवाई करते समय आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए और गन्ने की बुवाई को सपाट तरीके से ही करनी चाहिए क्योंकि सपाट तरीके से गन्ने की बुवाई नहीं करने पर आपको परेशानी हो सकती है . इसका सीधा असर फसल पर पड़ सकता है.
Farming: इन कुंडों में दीमक आदि कीड़ों की रोकथाम हेतु कीटनाशक डालकर ऊपर से गन्ने के टुकड़ों को ड्योढ़ा मिलकर रख दे और फिर पाटा फेर दे ताकि टुकड़े अच्छी प्रकार मिटटी में ढंक जाए. बुवाई के तीसरे सप्ताह में एक सिंचाई देकर सावधानी से अंधी गुड़ाई करें, ऐसा करने से मिट्टी की पपड़ी उखड जएगी और अंकुरण अच्छा होगा.
चिकनी मिट्टी वाले क्षेत्रों में जमीन भुरभुरी तैयार नहीं हो पाती है. इसलिए इन क्षेत्रों में सूखी मिट्टी में बुवाई करनी चाहिए. इसके लिए सुखी मिट्टी में 75-90 सेमी.