Tuesday, May 30, 2023
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Govardhan Puja 2022 तिथि, मुहूर्त – गोवर्धन पूजा कैसे प्रारम्भ हुई?

गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja Mahatva)

गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन की जाती है. मुख्य रूप से यह पूजा उत्तर भारत में उत्साह से की जाती है.  इस दिन भारत में सभी घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है और गाय की भी पूजा की जाती है. उत्तर भारत में इस दिन को धोक पड़वा कहा जाता है. भारत के विभिन्न प्रांतों में इस दिन अन्नकूट का भी आयोजन किया जाता है.

Govardhan Puja
Govardhan Puja

Govardhan Puja 2022 में कब हैं एवम शुभ मुहूर्त क्या हैं ? (Govardhan Festival Puja Date Muhurat)

गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja Mahatva)

भारतीय  त्यौहारों में वैज्ञानिक महत्व निहित रहता है.Govardhan Puja का यह त्यौहार प्रकृति और मानव के बीच संबंधों को स्थापित करता है. इस दिन का विशेष उद्देश्य पशुधन की पूजा करना है. हिंदू धर्म में गौमाता को साक्षात ईश्वर का रूप माना गया है. इस दिन सभी किसान अपने पालतु पशुओं का श्रृंगार करते हैं. भगवान श्री कृष्ण इंद्र के अभिमान को तोड़कर बृजवासी पर्यावरण के महत्व को समझें और उसकी रक्षा करें यही उनका उद्देश्य था. इस दिन बहुत से श्रद्धालुओं के राज पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं.

धोक पड़वा (Dhok Padwa)

Govardhan Puja

उत्तर भारत में इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ धोक पड़वा पर्व को मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग अपने से बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं. इसे स्थानीय भाषा में धोक देना भी कहा जाता है. गुजराती नववर्ष की शुरुआत भी इसी दिन से होती है.

गोवर्धन पूजा 2022 – Govardhan Puja 2021 Date, Muhurat

हिंदू पंचांग के अनुसार गोवर्धन पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन की जाती है. इस वर्ष 26 अक्टूबर 2022, बुधवार के दिन की जाएगी.

  • गोवर्धन पूजा 2022
  • बुधवार, 26 अक्टूबर 2022
  • गोवर्धन पूजा प्रात:काल मुहूर्त – 06:29 AM to 08:43 AM
  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 25 अक्टूबर 2022 अपराह्न 04:18 बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त – 26 अक्टूबर 2022 दोपहर 02:42 बजे
  • क्या आप जानते हैं: गोवर्धन वैष्णवों के लिए महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।

गोवर्धन पूजा प्रातः काल शुभ मुहूर्त

त्यौहार पूजाशुभ मुहूर्त समय
गोवर्धन पूजा 2022 प्रातः काल पूजा26 अक्टूबर 2022, बुधवार
6:29 ए एम से 8:43 ए एम

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा (Govardhan Puja Story)

पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि देवराज इंद्र को अपनी शक्ति और वैभव पर अभिमान हो गया था. उसे ही नष्ट करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने यह लीला रची थी. एक दिन जब यशोदा मैया भगवान इंद्र की पूजा की तैयारी कर रही थी तभी उस समय श्री कृष्ण माता यशोदा से पूछा कि वह किस लिए भगवान इंद्र की पूजा कर रही है. कृष्ण जी को माता यशोदा ने उत्तर दिया कि अरे गांव वाले गांव में अच्छी बारिश की कामना के लिए भगवान इंद्र की पूजा कर रहे हैं. जिससे हमारा गांव हरा भरा और फसल की पैदावार अच्छी हो सके.

इस पर श्री कृष्ण ने माता यशोदा से कहा कि गिरिराज पर्वत से भी हमें गायों के लिए घास प्रदान करता है. इसलिए गोवर्धन पर्वत की भी पूजा अवश्य होनी चाहिए और इंद्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते जबकि गोवर्धन पर्वत पर साक्षात हमारे समक्ष प्रस्तुत है. श्री कृष्ण की इस बात पर सभी गांव वाले सहमत हो गए और सभी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. इस बात से नाराज होकर देवराज इंद्र क्रोधित हो उठे. देवराज इंद्र ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए ब्रज में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी. पूरे गांव में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई.

चारों ओर पानी ही पानी से हाहाकार मच गया. सभी गांव वालों की रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण सभी को गोवर्धन पर्वत की ओर ले गए. जहां उन्होंने गिरिराज पर्वत को प्रणाम कर उसे अपनी सबसे छोटी उंगली पर धारण कर लिया और उसी के नीचे सभी गांव वालों ने शरण ली. यह देख इंद्र और क्रोधित होगा. उन्होंने वर्षा का प्रभाव और तेज कर दिया. तभी श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र ने वर्षा की गति को नियंत्रित किया और शेषनाग को आदेश दिया कि वे पानी को पर्वत की ओर आने से रोके. इस तरह 7 दिनों तक भगवान कृष्ण ने गांव वासियों की वर्षा से रक्षा की.

देवराज इंद्र को एहसास हो गया था कि श्री कृष्ण कोई सामान्य बालक नहीं है. फिर ब्रह्मा जी ने देवराज इंद्र से कहा कि वह कोई सामान्य बालक नहीं है वह भगवान विष्णु का ही रूप है. इसके बाद देवराज इंद्र श्री कृष्ण के पास पहुंचे और उनसे क्षमा मांगी और बारिश को रोक दिया. उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा. इसी दिन से गोवर्धन पर्वत पूजा त्योहार के रूप में हर साल मनाया जाता है.

गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)

इस दिन गाय के गोबर से सभी घरों में गिरिराज पर्वत का प्रतीक बनाया जाता है. खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में यह पूजा अधिक प्रचलित है. शहरों में भी यह पूजा की जाती है. गिरिराज पर्वत के प्रतीक का पंचामृत अभिषेक भी किया जाता है.इस दिन सभी घर में रामभाजी (सभी सब्जी को मिलकर बनाई गई) विशेष रूप से बनाई जाती है.

गोवर्धन पूजा शायरी (Govardhan Puja Shayari)

  • घमंड तोड़ इंद्र का प्रकृति का महत्व समझायाऊँगली पर उठाकर पहाड़वो ही रक्षक कहलायाऐसे बाल गोपाल लीलाधर को शत शत प्रणाम.
  • हैं मेरी संस्कृति महान सिखाया हमें गाय का मानप्रकृति का हर अंग हैं वरदानकरो सबका सम्मान सम्मान और सम्मान
  • गोकुल का ग्वाला बनकर वो गैया रोज चराता थाईश्वर का अवतार था वोलेकिन गाय माता की सेवा करता थाऐसा महान हैं यह त्यौहार जिसने बढ़ाया प्रकृति का मान

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