नौवें सिख गुरु गुरु तेग बहादुर का आज 24 नवंबर को शहीदी दिवस है। गुरु तेग बहादुर नौवें सिख गुरु थे और सिख धर्म के संस्थापकों में से एक थे। हर साल इस तारीख को उनकी शहादत दिवस मनाई जाती है। इस मौके पर भारत समेत दुनियाभर में लोग उनकी कुर्बानियों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
गुरु तेग बहादुर जी की शहादत दुनिया में मानव अधिकारियों के लिए पहली शहादत थी, इसलिए उन्हें सम्मान के साथ ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है। गुरु तेग बहादुर की याद में उनके शहीदी स्थल पर एक गुरुद्वारा साहिब बना है। जिसे गुरुद्वारा शीश गंज के नाम से जाना जाता है।
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Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2022:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरु तेग बहादुर के ‘शहीदी दिवस’ की पूर्व संध्या पर बुधवार को श्रद्धांजलि अर्पित की और देशवासियों से उनके एकता और भाईचारे के जीवन मूल्यों को अपनाने का संकल्प लेने का आह्वान किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संदेश में कहा, ‘मैं गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के अवसर पर, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।’ उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा के लिये उनका जीवन -उत्सर्ग हमेशा याद रखा जाएगा। उनका यह बलिदान समस्त मानवता के लिए था, जिसके लिए उनको ‘हिन्द की चादर’ कहा गया है।Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2022
मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर 24 नवंबर 1675 को गुरु तेग बहादुर की हत्या की गई थी। औरंगजेब ने उनको सिख धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म स्वीकार करने का दबाव डाला था। लेकिन गुरु तेग बहादुर जी उसके दबाव के आगे नहीं झुके। उन्होंने धर्म परिवर्तन की बजाय शहादत को चुना। गुरु तेग बहादुर धर्म की रक्षा के लिए स्वयं को बलिदान करने देने वाले उच्च व्यक्तित्व थे। उन्होंने अपने सर्वोच्च बलिदान से सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का बड़ा संदेश दिया।
Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2022 गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 1621 में अमृतसर में हुआ था। उनके पिता छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद थे। वह एक कवि और गहरे आध्यात्मिक थे। उनकी बहादुरी, गरिमा, मानवता, गरिमा और मृत्यु आदि के बारे में विस्तार से लिखा है जिन्हें गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है।
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