Bina jad ka ped : राजा के दरबार में एक व्यापारी संदूक के साथ पहुँचा। उसने गर्व से कहा, ‘महाराज, मैं व्यापारी हूँ और बिना बीज एवं पानी के पेड़ उगाता हूँ। आपके लिए मैं एक अदभुत उपहार लाया हूँ, लेकिन आपके दरबार में एक-से-एक ज्ञानी-ध्यानी हैं, इसलिए पहले मुझे कोई यह बताए कि इस संदूक में क्या है? अगर बता देगा तो आपके यहाँ चाकरी करने को तैयार हूँ।Bina jad ka ped
सभासद पंडितों, पुरोहितों और ज्योतिषियों की ओर देखने लगे, लेकिन उन लोगों ने सिर झुका लिए।Bina jad ka ped
Bina jad ka ped सभा में गोनू झा भी उपस्थित थे। उन्हें उसकी चुनौती स्वीकार करना आवश्यक लगा, अन्यथा दरबार की जग हॅंसाई होती। गोनू झा ने विश्वासपूर्वक कहा, मैं बता सकता हूँ कि संदूक में क्या है, लेकिन इसके लिए मुझे रातभर का समय चाहिए और व्यापारी को संदूक के साथ मेरे यहाँ ठहरना होगा। संदूक बदला न जाए, इसकी निगरानी के लिए हम रातभर जगे रहेंगे और व्यापारी चाहे तो पहरेदार भी रखवा सकते हैं। Bina jad ka ped

सभी मान गए और व्यापारी गोनू झा के यहाँ चला गया।
Bina jad ka ped रातभर दोनो संदूक की रखवाली करते रहे। रात काटनी थी, इसलिए किस्सा-कहानी भी चलती रही। बातचीत के क्रम में गोनू झा ने कहा, ‘भाई, कुछ दिन पूर्व मुझे एक व्यापारी मिला था; उसने भी यही कहा था कि बिना बीज-पानी के पेड़ उगाता हूँ। पेड़ में भाँति-भाँति के फूल खिलते हैं, वह भी रात में। क्या आप भी रात में पेड़ उगाकर भाँति-भाँति के फूल खिला सकते हैं?
उसने अहंकार से कहा, क्यों नहीं! मेरे पेड़ रात में ही अच्छे लगते हैं और उनके रंग-बिरंगे फूल देखते ही बनते हैं।Bina jad ka ped
यह सुनते ही गोनू झा की आँखों में चमक आ गई और वे निश्चिंत हो गए।
दूसरे दिन दोनों दरबार में उपस्थित हुए। गोनू झा ने जेब से कुछ आतिशबाजी निकालछोड़ी ।
सभासद झुँझला गए। महाराज की भी आँखे लाल-पीली हो गईं और कहा, ‘गोनू झा, यह क्या बेवक्त की शहनाई बजा दी! सभा का सामान्य शिष्टाचार भी भूल गए?
गोनू झा ने वातावरण को सहज करते हुए कहा, ‘महाराज, सर्वप्रथम धृष्टता के लिए क्षमा चाहता हूँ, लेकिन यह मेरी मजबूरी थी। इसी में व्यापारी भाई के रहस्यमय प्रश्न का उत्तर छुपा है। इसमें ही बिना जड़ के भाँति-भाँति के रंगों में फूल खिलते हैं।Bina jad ka ped
व्यापारी अवाक रह गया। उसने सहमते हुए कहा, ‘महाराज, इन्होंने मेरे गूढ प्रश्न का उत्तर दे दिया। फिर उसने विस्मयपूर्वक गोनू झा से पूछा, आपने कैसे जाना कि इसमें आतिशबाजी ही है?Bina jad ka ped
गोनू झा ने सहजता से कहा, व्यापारी, जब आपने यह कहा कि बिना बीज-पानी के पेड़ उगते हैं और उनमें भाँति-भाँति के फूल खिलते हैं, तब तक तो मुझे संदेह रहा, परंतु मेरे पूछने पर यह कहा कि रात ही में आपकी यह फसल अच्छी लगती है, तब जरा भी संशय नहीं रहा कि इसमें आतिशबाजी छोड़ कुछ अन्य सामान नहीं होगा।
व्यापारी मनहूस हो गया। राजा ने कहा, ‘व्यापारी, आपको दुःखी होने की जरूरत नहीं है। आप यहाँ रहने के लिए स्वतंत्र हैं, पर अपना कमाल रात में दिखाकर लोगों का मनोरंजन कीजिएगा। अगर प्रदर्शन प्रशंसनीय रहा तो पुरस्कार भी पाइएगा, पर अभी पुरस्कार के हकदार गोनू झा ही हैं।