Health Care Tips: सही ढंग से सोना, 8 घंटे की नींद लेना अच्छी सेहत का राज है। ये बातें तो हर कोई जानता है, लेकिन सो कर सुबह किस करवट उठना है यह भी जानना जरूरी है। क्या आप जानते हैं कि जब आप सुबह सो कर उठते हैं, तो बिस्तर से किस करवट उठते हैं। उठने के सही तरीकों के बारे में पता होने से आप दिन भर फ्रेश और एनर्जी से भरपूर रहेंगे। दिल्ली के पंचकर्म हॉस्पिटल के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आर पी पराशर कहते हैं कि एक गलती बॉडी के सारे पॉश्चर खराब कर सकती है इसलिए दिनचर्या का ख्याल रखें।

सही पॉश्चर में सोने से नींद अच्छी आती है
डॉ. आर पी पराशर कहते हैं कि आप जिस भी करवट सोते हैं, उससे भी काफी हद तक आपकी नींद प्रभावित होती है। सो कर उठने का आपका तरीका कैसा है, उससे भी सेहत पर असर पड़ता है। कहा जाता है कि बेड की दाईं तरफ से सो कर उठना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की दाईं तरफ सूर्य नाड़ी होती है। जब आप दाईं करवट से सो कर उठते हैं, तो इससे डाइजेस्टिव सिस्टम मजबूत होता है और पेट की बीमारियों से भी बचे रहते हैं। शरीर के आसपास दो मैग्नेटिक एरिया होते हैं। एक हमारे सिर से पैरों की तरफ जाता है और दूसरा पैरों से सिर की तरफ आता है। ऐसे में जब कोई व्यक्ति दाईं करवट से सो कर उठता है, तो अपने शरीर के दूसरे चुंबकीय क्षेत्र को मजबूत करता है। इससे बॉडी में एनर्जी बनी रहती है। ऐसा भी कहा जाता है कि दाईं करवट से सो कर उठने से आप दिनभर तनाव मुक्त रहते हैं।
झटके से न उठें, कमर में मोच आ सकती है
झटके से बिस्तर से उठने से बचें। खासकर, वो लोग जिन्हें बैक पेन की प्रॉब्लम है। इससे कमर में मोच आ सकती है या दर्द बढ़ सकता है। स्ट्रेचिंग करते हुए बेड से उतरें।
हाथों का सहारा लेकर उठें
बेड से उतरते समय हाथों का सहारा जरूर लें। इससे गर्दन और कमर पर बेवजह जोर नहीं पड़ेगा।
प्रेग्नेंट महिला उठने, बैठने, लेटने के तरीके का रखें ध्यान
प्रेग्नेंसी में जैसे-जैसे शिशु का वजन बढ़ता है महिला को बैठने, उठने और लेटने में दिक्कत होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को उठने-बैठने और लेटने में एहतियात बरतनी चाहिए। गायनाकोलॉजिस्ट डॉ मीरा पाठक कहती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान तीनों ट्राइमेस्टर में जब शिशु के शरीर का विकास होता है, तो महिला को बैठने, उठने या लेटने में परेशानी होने लगती हैं। ऐसी स्थिति में 15-20 मिनट से ज्यादा एक जगह, एक ही पोजीशन में न बैठें। बॉडी का मूवमेंट जरूरी है।
इन बदलावों को समझें
पहली तिमाही: काम करते हुए कमर सीधी करके बैठें व लेटें। अधिक वजन उठाने से भी बचें।
दूसरी-तीसरी तिमाही: डॉ मीरा कहती हैं कि प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन के अधिक स्राव से शरीर के लिगामेंट ढीले होने लगते हैं जिस कारण जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द रहता है। लेटने के बाद करवट लेकर उठें। बैठकर उठते हैं तो हाथों का सपोर्ट जरूर लें। उकडू न बैठें। जितना हो सके कमर सीधी रखें। बिना सहारे के कभी न बैठें। दूसरी तिमाही के बाद से पेट आगे की ओर बढ़ता है और रीढ़ के निचले हिस्से में मुड़ाव आने लगता है। ऐसे में कमर के पीछे तकिए से सहारा दें।
उठते ही चक्कर आना
लो ब्लड प्रेशर की दिक्कत होने पर अक्सर बैठकर उठते ही चक्कर आना और आंखों के सामने अंधेरा आना जैसी तकलीफें होती हैं। इस समस्या को सुपाइन हाइपोटेंशन कहते हैं। उठते ही पहले बॉडी को रिलैक्स करें।
मूवमेंट है जरूरी
प्रेग्नेंसी में ब्लड गाढ़ा होता है। ऐसे में शरीर का मूवमेंट जरूरी है। लंबे समय तक बैठने और लेटने से ब्लड इकट्ठा होता है जिससे दर्द और सूजन रहती है।
पहली तिमाही: काम करते हुए कमर सीधी करके बैठें व लेटें। अधिक वजन उठाने से भी बचें।
दूसरी-तीसरी तिमाही: डॉ मीरा कहती हैं कि प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन के अधिक स्राव से शरीर के लिगामेंट ढीले होने लगते हैं जिस कारण जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द रहता है। लेटने के बाद करवट लेकर उठें। बैठकर उठते हैं तो हाथों का सपोर्ट जरूर लें। उकडू न बैठें। जितना हो सके कमर सीधी रखें। बिना सहारे के कभी न बैठें। दूसरी तिमाही के बाद से पेट आगे की ओर बढ़ता है और रीढ़ के निचले हिस्से में मुड़ाव आने लगता है। ऐसे में कमर के पीछे तकिए से सहारा दें।
उठते ही चक्कर आना
लो ब्लड प्रेशर की दिक्कत होने पर अक्सर बैठकर उठते ही चक्कर आना और आंखों के सामने अंधेरा आना जैसी तकलीफें होती हैं। इस समस्या को सुपाइन हाइपोटेंशन कहते हैं। उठते ही पहले बॉडी को रिलैक्स करें।
मूवमेंट है जरूरी
प्रेग्नेंसी में ब्लड गाढ़ा होता है। ऐसे में शरीर का मूवमेंट जरूरी है। लंबे समय तक बैठने और लेटने से ब्लड इकट्ठा होता है जिससे दर्द और सूजन रहती है।
दूसरी तिमाही के बाद से बढ़ता वजन बैठने, उठने और लेटने में तकलीफ पैदा करता है। इससे कई महिलाओं को घबराहट और बेचैनी होती है। प्रेग्नेंट महिला को बाईं करवट लेटना चाहिए ताकि मां और बच्चा दोनों के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर हो। बॉडी में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली बेचैनी में बाईं करवट लेटना फायदेमंद है। प्रेग्नेंसी के दौरान अंतिम तीन माह में इस तरह लेटना ज्यादा सही है।
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