Wednesday, June 7, 2023
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Indian Air Force Day 2022, गीता के इस सूक्त से प्रेरणा लेती है भारतीय वायुसेना, देखें बड़े ऑपरेशन

8th October Indian Air Force Day 2022 8 अक्टूबर को हर साल वायुसेना दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारतीय वायुसेना अपना दमखम दिखाएगी, जिसके लिए वायुसेना ने खास तैयारी की है। वायुसेना दिवस को देखते हुए चंडीगढ़ में एयर शो का आयोजन किया जा रहा है।

8th October Indian Air Force Day 2022, गीता के इस सूक्त से प्रेरणा लेती है भारतीय वायुसेना, देखें बड़े ऑपरेशन

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Indian Air Force Day

Indian Air Force Day इस एयर शो में 83 एयरक्राफ्ट शामिल होंगे। एयर शो में शामिल होने वाले एयरक्राफ्ट में से 44 फाइटर एयरक्राफ्ट, 7 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 20 हेलिकॉप्टर और 7 विंटेज एयरक्राफ्ट शामिल होंगे। वहीं, 9 एयरक्राफ्ट स्टैंडबाय पर रखे जाएंगे। इस बार एयर शो की खास बात यह रहेगी कि इसमें नए लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर भी शामिल होंगे।

Indian Air Force Dayएयर शो के 2 दिन पहले एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने मंगलवार को कहा कि भारतीय वायु सेना ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी गतिविधियों से निपटने के लिए उचित उपाय किए हैं।

भारतीय वायुसेना के बारे में जानें

Indian Air Force Day भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है। गाजियाबाद में स्थित हिंडन वायुसेना स्टेशन एशिया का सबसे बड़ा एयरबेस है। भारतीय वायुसेना के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक यह अपने ध्येय वाक्य ‘नभ: स्पृशं दीप्तम्’ के मार्ग पर चल रहा है। इसका अर्थ है ‘गर्व के साथ आकाश को छूना।’ वायु सेना के इस ध्येय वाक्य को भगवत गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। भारतीय वायुसेना का रंग नीला, आसमानी नीला और सफेद है।

Indian Air Force Day
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एयर फोर्स का इतिहास 

Indian Air Force Day भारतीय वायु सेना का गठन 8 अक्टूबर, 1932 को हुआ था। भारतीय वायु सेना की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इंडियन एयरफोर्स के वायुयान ने अपनी पहली उड़ान 1 अप्रैल, 1933 को भरी थी। उस समय इसमें RAF द्वारा प्रशिक्षित 6 अफसर और 19 हवाई सिपाही (शताब्दिक तौर पर वायुयोद्धा) थे। बताया जाता है कि भारतीय वायु सेना की स्थापना ब्रिटिश साम्राज्य की वायु सेना की एक इकाई के तौर पर हुई थी।

दि्वतीय विश्व युद्ध के दौरान इसके नाम में रॉयल शब्द जोड़ा गया था लेकिन स्वतंत्रता मिलने के बाद 1950 में हटा दिया गया था। 

8 अक्टूबर 1932 को हुई थी स्थापना, इस वजह से मनाते हैं स्थापना दिवस समारोह 

8 अक्टूबर 1932 को Indian Air Force Day की स्थापना हुई थी, तभी से इस दिन को एयरफोर्स डे मनाया जाता है। इस मौके पर एयरफोर्स अपने खास-खास विमानों और जवानों के करतब का प्रदर्शन करती है। एयरफोर्स डे के मौके पर शानदार परेड और एयर शो का आयोजन होता है। आजादी से पहले एयरफोर्स को RIAF यानी रॉयल इंडियन एयर फोर्स कहा जाता था। आजादी के बाद इसमें से “रॉयल” शब्द को हटाकर सिर्फ “इंडियन एयरफोर्स” कर दिया गया था। भारतीय वायु सेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी अहम भूमिका निभाई थी।

गीता से लिया गया है ये आदर्श वाक्य 

Indian Air Force Day देश में सभी सेनाओं का अपना एक आदर्श वाक्य है। भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है- ‘नभ: स्पृशं दीप्तम’। भारतीय वायु सेना का आदर्श वाक्य गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है और यह महाभारत के महायुद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान श्री क्रष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है। इसी आदर्श वाक्य के साथ भारतीय वायु सेना अपने कामों को अंजाम देती है। 

भारतीय वायु सेना का महत्त्व 

Indian Air Force Day देश के आजाद होने के बाद से भारतीय वायु सेना चार युद्धों में कार्यवाई कर चुकी है जिनमें से तीन पाकिस्तान एवं एक चीन के खिलाफ लड़े गए। भारतीय वायु सेना के अन्य प्रमुख ऑपरेशनों में शामिल हैं, ऑपरेशन विजय- द एनेक्शेसन ऑफ गोवा, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस, ऑपरेशन पूमलाई, सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक। इसके अलावा भारतीय वायु सेना संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कार्यों में भी सहयोग कर चुकी है। भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है। 

भारतीय वायु सेना की ताकत

Indian Air Force Day भारत की आजादी के बाद से अब तक भारतीय वायुसेना कुल 5 युद्ध लड़ चुकी है। इसमें से चार जंग भारत पाकिस्तान के बीच हुईं और एक चीन के खिलाफ लड़ी गई। पाकिस्तान के खिलाफ 1948, 1965, 1971 और 1999 में भारतीय वायुसेना जंग में शामिल हुई। चीन के साथ 1962 के युद्ध में भी भारतीय वायुसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस और बालाकोट एयर स्ट्राइक भारतीय वायुसेना के कुछ प्रमुख ऑपरेशनों में शामिल हैं।

वायु सेना के पहले चीफ, एयर मार्शल 

Indian Air Force Dayआजादी से पहले वायु सेना पर आर्मी का नियंत्रण होता था। एयर फोर्स को आर्मी से ‘आजाद’ करने का श्रेय भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। आजादी के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया था। वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे।

भारतीय वायुसेना के बड़े ऑपरेशन

ऑपरेशन सफेद सागर (1999)

Indian Air Force Day ऑपरेशन सफेद सागर 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के साथ संयुक्त रूप से कार्य करने में भारतीय वायु सेना की भूमिका को सौंपा गया कोड नाम था, जिसका उद्देश्य नियमित और अनियमितता को दूर करना था। पाकिस्तानी सेना के जवानों ने नियंत्रण रेखा के साथ कारगिल सेक्टर में भारतीय चौकियों को खाली कराया गया। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से यह जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में वायु शक्ति का पहला बड़े पैमाने पर उपयोग था।

ऑपरेशन राहत (2013)

ऑपरेशन राहत उत्तर भारत बाढ़ (2013) से प्रभावित नागरिकों को निकालने के लिए भारतीय वायुसेना के बचाव अभियान का सांकेतिक नाम दिया गया। भारी बारिश ने 16 जून को उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्य में काफी विकाराल रूप धारण कर लिया जिसकी वजह से तीर्थयात्रियों सहित हजारों लोग विभिन्न घाटियों में फंस गए। राहत कार्य के लिए भारतीय वायुसेना की सहायता मांगी गई। पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) मुख्यालय ने विभिन्न राज्यों द्वारा बाढ़ से राहत संबंधी सहायता के अनुरोध पर त्वरित प्रतिक्रिया की है। इसके साथ ही वायुसेना ने यमुनानगर, केदारनाथ-बद्रीनाथ क्षेत्र, रूद्रप्रयाग घाटी, किन्नौरजिले के करचम-पुह क्षेत्र में बचाव कार्य शुरू कर दिया।

मेघना हेली ब्रिज (1971)

मेघना हेली ब्रिज, कोडनाम आपरेशन कैक्टस लिली, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना का एक हवाई अभियान था, जिसमें बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भारत की भागीदारी शुरू हुई थी। यह 9 दिसंबर को हुआ था, जब भारतीय वायु सेना (IAF) ने भारतीय सेना के IV कोर और मुक्ति वाहिनी सेनानियों को ब्राह्मणबरिया से रायपुरा में मेघना नदी के ऊपर, मेघना ब्रिज और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों को आशुगंज में नष्ट कर दिया था।

भारत पाक युद्ध (1947)

भारत और पाकिस्तान के बीच प्रथम युद्ध सन् 1947 में हुआ था। यह कश्मीर को लेकर हुआ था जो 1947-48 के दौरान चला। जम्मू और कश्मीर के महाराज हरि सिंह, पुंछ में अपने मुस्लिम सैनिकों द्वारा विद्रोह का सामना कर रहे थे, और अपने राज्य के पश्चिमी जिलों पर नियंत्रण खो दिया था। 22 अक्टूबर 1947 को, पाकिस्तान की क़बायली लड़ाकों ने राज्य की सीमा पार कर ली।

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युद्ध शुरू में जम्मू-कश्मीर राज्य बलों और उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत से सटे फ्रंटियर ट्राइबल एरिया के मिलिशिया द्वारा लड़ा गया था। 26 अक्टूबर 1947 को राज्य के भारत में विलय के बाद, भारतीय सैनिकों को राज्य की राजधानी श्रीनगर में भेज दिया गया।

युद्ध में भारतीय नुकसान 1,104 मारे गए और 3,154 घायल हुए। लगभग 6,000 लोग मारे गए और 14,000 घायल हुए। भारत ने कश्मीर का लगभग दो-तिहाई नियंत्रण प्राप्त कर लिया।

ऑपरेशन मेघदूत (1984)

ऑपरेशन मेघदूत कश्मीर में सियाचिन ग्लेशियर के नियंत्रण को जब्त करने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों के ऑपरेशन का कोडनेम था, जो सियाचिन संघर्ष की शुरुआत थी। 13 अप्रैल 1984 की सुबह दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान में अंजाम दिया गया, मेघदूत अपनी तरह का पहला सैन्य हमला था। ऑपरेशन ने पाकिस्तान के आसन्न ऑपरेशन अबाबील (जिसका उद्देश्य मेघदूत के समान उद्देश्य को प्राप्त करना था) को रोक दिया और एक सफलता थी, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर पर पूरी तरह से नियंत्रण हासिल कर लिया।

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