Jitiya puja 2022: जितिया एक व्रत है जिसमें निर्जला (बिना पानी के) उपवास पूरे दिन किया जाता है और माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र,कल्याण के लिए मनाया जाता है। बिक्रम संवत के आश्विन माह में कृष्ण-पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक तीन-दिवसीय त्योहार मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से नेपाल के मिथिला और थरुहट, भारतीय राज्यों बिहार , झारखंड , उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के नेपाली लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसके अलावा, यह व्यापक रूप से पूर्वी थारू और सुदूर-पूर्वी मधेसी लोगों द्वारा मानाया जाता है।
माताएं अपनी संतान के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखे हुए हैं. वह उनकी सुरक्षा की कामना कर रही यह व्रत भगवान कृष्ण से जुड़ा है. इसमें चील और सियारिन की पूजा की बात है, लेकिन एक तथ्य और है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है. व्रत में बार-बार भगवान जीमूतवाहन का नाम लिया जाता है.
जितिया पूजा के पीछे की कहानी क्या है?
जिवितपुत्रिका (जितिया भी कहा जाता है) एक तीन दिवसीय हिंदू त्योहार है जो अश्विन महीने में कृष्ण-पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक मनाया जाता है । यह मुख्य रूप से भारतीय राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के नेपाली लोगों में मनाया जाता है।
