Wednesday, March 29, 2023
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काम की बात: ड्राइविंग करते समय ध्यान दे इन छोटी-छोटी बातो का, और इस नियमो का करे गंभीर रूप से पालन…  

वाहन एक बहुत बड़ी सुविधा है और आत्मनिर्भरता का साधन भी। इसका प्रयोग सतर्कता और समझदारी से करें। ड्राइविंग में छोटी-छोटी गलतियों से बचकर हर साल लाखों अकाल मौतों को टाला जा सकता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2020 की वार्षिक ‘क्राइम इंडिया’ रिपोर्ट के मुताबिक़, लापरवाही के कारण हुई सड़क दुर्घटनाओं में तीन साल में 3.92 लाख लोगों की जान गई है। विश्व बैंक की सड़क हादसों पर केन्द्रित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सालाना क़रीब साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है।

देश में दुनिया के सिर्फ़ एक फ़ीसदी वाहन हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में दुनिया भर में होने वाली मौतों में भारत का हिस्सा 11 प्रतिशत है। देश में हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं और हर 4 मिनट में 1 मौत होती है। सड़क पर यातायात के समय कुछ छोटी-छोटी ग़लतियां जानलेवा साबित होती हैं और जिन्हें हम रोक सकते हैं…

ड्राइविंग

अनफिट गाड़ी चलाना

आमतौर पर यह देखा जाता है कि जो लोग रोड पर लापरवाही से ड्राइविंग करते हैं, वे अपनी गाड़ी की देखभाल को लेकर भी उतने ही लापरवाह होते हैं। अगर आपकी गाड़ी की फिटनेस यानी स्थिति ठीक नहीं है तो गाड़ी बीच सफ़र में या कहें सड़क पर धोखा दे सकती है। ख़ासकर लॉन्ग ड्राइव पर जाते समय सबसे पहले बोनट खोलकर फ्लुइड लेवल चेक कर लें। गाड़ी के लाइट्स, वाइपर्स और टायर्स की स्थिति का आकलन भी बहुत ज़रूरी है। उसी तरह क्लच और ब्रेक्स की स्थिति भी अच्छी होनी चाहिए।

तेज़ रफ़्तार से गाड़ी चलाना

कई लोग दूसरी गाड़ी से आगे निकलने के चक्कर में ग़लत तरीक़े से ओवरटेक करते हुए आगे बढ़ते हैं। देखिए, किसी से जीतने-हारने के लिए आप सड़क पर गाड़ी लेकर नहीं उतरे हैं। जिस तरह आपको कहीं जाना है, वैसे ही सड़क पर गाड़ी चला रहे दूसरे लोगों को भी कहीं न कहीं जाना है। तेज़ रफ़्तार ड्राइविंग की सबसे बुरी बात यह है कि इससे अमूमन वे लोग अस्पताल पहुंचते हैं जिनकी कोई ग़लती भी नहीं होती। आपको स्पीड के नियमों का अनिवार्य तौर पर पालन करना सीखना होगा जैसे-शहर में स्पीड 40 से अधिक न हो, स्कूल, हॉस्पिटल के निकट स्पीड कम कर लें और स्पीड ब्रेकर का भी सम्मान करें।

बिना आराम किए ड्राइव करना

ड्राइविंग एक ज़िम्मेदारी का काम है और किसी भी ज़िम्मेदारी को हम ठीक से तभी निभा सकते हैं, जब हम होशोहवास में हों। हमारा मस्तिष्क पूरी तरह से जाग्रत अवस्था में हो। कई बार लोग थकान को नज़रअंदाज़ करके ड्राइविंग करने लगते हैं, नतीजतन एक्सीडेंट जैसी घटनाएं सुनने में आती हैं। गाड़ी चलाते समय दिमाग़ ताज़ा होना चाहिए। अगर किसी बात का तनाव हो, ग़ुस्से में हों, मन ठीक न हो तो गाड़ी न ही चलाएं तो बेहतर होगा। आपके लिए भी और सड़क पर चल रहे दूसरे लोगों के लिए भी।

गाड़ी चलाते समय फ़ोन पर बातचीत

मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना दुर्घटना को निमंत्रण देने जैसा है। जब आप गाड़ी चला रहे हों तो आपका पूरा ध्यान ट्रैफिक और रोड पर होना चाहिए। मोबाइल पर बात करने से ड्राइवर का ध्यान भटक सकता है। आए दिन फोन पर बात करते समय या मैसेज करते समय होने वाली दुर्घटनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि गाड़ी चलाते वक़्त मोबाइल का प्रयोग कितना ख़तरनाक साबित हो सकता है। वैसे तो आपको इससे बचना चाहिए, पर फिर भी ज़रूरी हो तो हैंड फ्री डिवाइसेस इस्तेमाल करें। गाड़ी में संगीत सुनना भी है तो धीमी आवाज़ में सुना जा सकता है। इससे ध्यान भी नहीं भटकेगा।

शासन और प्रशासन की ज़िम्मेदारी

दुर्घटना से बचाव के लिए सुझाव है कि शहर में गाड़ी की स्पीड शासन द्वारा 40 किमी प्रति घंटे पर लॉक करवाएं। जब शहर से बाहर जाना हो तो अपनी सुविधानुसार गाड़ी चालक स्पीड का लॉक खुलवा सकते हैं।स्कूल, हॉस्पिटल जैसी जगहों पर भीड़भाड़ होती है, इसलिए इनके मोड़ पर स्पीड ब्रेकर होना आवश्यक है।हॉर्न तेज़ बजाने, हेडफोन सुनते हुए या मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाने वालों पर भी एक बड़ी राशि का जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
ग़लत जगह गाड़ी पार्क करने, ओवरटेक करते हुए तेज़ रफ़्तार से गाड़ी चलाने जैसे यातायात के नियमों का उल्लंघन करने पर अधिक राशि का जुर्माना लगाने की आवश्यकता है।

सड़क पर सुरक्षा देंगी ये छोटी-छोटी सावधानियां

सड़क पर बायीं तरफ़ से चलें, ताकि अगर कोई वाहन चालक आपको ओवरटेक करना चाह रहा हो तो दाहिनी ओर से आगे बढ़ जाए। जब कोई वाहन आपको ओवरटेक कर रहा हो तो आप अपनी स्पीड न बढ़ाएं। ​​​​​​​ इंडिकेटर्स का इस्तेमाल करने में आलस न करें, क्योंकि इससे आपके पीछे आ रहे वाहनों को पता चलता है कि आप किस दिशा में मुड़ना चाह रहे हैं। अगर आपकी गाड़ी के इंडिकेटर्स ख़राब हो गए हों, तो आप गाड़ी को मोड़ने से पहले हाथों से इशारा ज़रूर करें।
एम्बुलेंस और फ़ायरब्रिगेड जैसे आपातकालीन वाहनों को रास्ता देना भी एक कुशल ड्राइवर की ज़िम्मेदारी होती है। ​​​​​​​ ट्रैफ़िक लाइट्स और सिगनल्स की अनदेखी न करें। सिग्नल जम्प करने में कोई बहादुरी नहीं है। गाड़ी को स्टॉप लाइन्स के पहले रोकें अपने से आगे वाले वाहन से निश्चित दूरी बनाकर चलाएं, ताकि अगर आगे वाली गाड़ी अचानक ब्रेक लगाए तो आपके पास रुकने के लिए पर्याप्त समय और जगह हो। ट्रैफिक लाइट्स पर सबसे आगे खड़े होने या जल्दी निकलने के चक्कर में बाईं तरफ के ट्रैफिक को बाधित न करें। कतार में ही बने रहें। अगर आप चार पहिया वाहन चला रहे हैं तो सीट बेल्ट बांधने में लापरवाही न बरतें। वहीं दो पहिया वाहन चालकों को यही सावधानी हेलमेट को लेकर बरतनी चाहिए। पीछे बैठे व्यक्ति का भी हेलमेट पहने रहना ज़रूरी है। हेलमेट अच्छी गुणवत्ता का हो, महज़ ट्रैफ़िक पुलिस के चालान से बचने के लिए कामचलाऊ हेलमेट न लें, बल्कि आईएसआई प्रमाणित ही इस्तेमाल करें। आगे निकलने की होड़ में लगातार हॉर्न न बजाएं। ऐसा करने से आगे वाला वाहन चालक हड़बड़ा सकता है। इससे दुर्घटना की आशंका बढ़ सकती है।
कार के विंड शील्ड पर स्टिकर न लगवाएं, इससे पीछे का दृश्य देखने में बाधा हो सकती है।

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