Medical college :प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेजों में बढ़ेंगी पीजी की 300 सीटें,मिलेगा अनुदान प्रदेश के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अगले शैक्षणिक सत्र से पीजी की 300 सीटें बढ़ जाएंगी। सीटें बढऩे का फायदा यहां एमबीबीएस छात्रों को होगा वहीं अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी दूर से होने से मरीज भी सीधे तौर पर लाभांवित होंगे। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में मप्र के मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटों की संख्या 1800 के आस पास है। सीटें बढऩे से यह संख्या 2100 हो जाएगी।

Medical college: संचालनालय चिकित्सा शिक्षा से मिली जानकारी अनुसार प्रत्येक मेडिकल कॉलेज को सीट बढ़ाने के लिए प्रत्येक सीट पर 1 करोड़ 20 लाख रुपए का अनुदान भी दिया जाएगा। जिससे कॉलेज इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सकें और अन्य संसाधन जुटा सकें। हालांकि कुछ सीटों की संख्या इसी सत्र में बढ़ सकती है, जिन कॉलेजों में एनएमसी द्वारा निरीक्षण कर लिया गया है वहां नई सीटों के लिए मान्यता काउंसलिंग के दूसरे चरण में आ सकती है।
Medical college: प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेजों में बढ़ेंगी पीजी की 300 सीटें,मिलेगा अनुदान
9 सरकारी कॉलेजों में लगेंगी सीटी व एमआरआई मशीन
Medical college: पीजी सीटें बढ़ाने के साथ ही साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग नौ सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटी स्कैन व एमआरआई मशीन की स्थापना भी करने जा रहा है। इसके लिए जल्द ही टेंडर बुलाए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक एमआरआई और सीटी स्कैन के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। आपको बता दें कि कि इसके लिए बीते साल तैयारियां शुरू की गई थीं।
दिसंबर 2020 में इसका टेंडर टेलीवास्को कंपनी को मिला था। करीब एक साल की जद्दोजहद के बाद सीटी स्कैन, एमआरआई मशीनें लगाने वाला टेंडर कैंसिल कर दिया गया था अब नए सिरे से टेंडर बुलाए जाएंगे,जो अगले महीने खोले जाएंगे। जल्द ही इंदौर, जबलपुर, सागर, दतिया, शहडोल, शिवपुरी, रतलाम, विदिशा और खंडवा मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन व एमआरआई मशीनें स्थापित की जाएंगी।
सीटें बढऩे से दूर होगी डॉक्टर्स की कमी
प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेजों में बढ़ेंगी पीजी की 300 सीटें,मिलेगा अनुदान पीजी सीट बढऩे से न सिर्फ मेडिकल छात्रों का भला होता है, बल्कि इससे मरीजों को भी लाभ मिलता है। क्योंकि जितने भी मेडिकल कॉलेज होते हैं, वह किसी न किसी अस्पताल का संचालन करते हैं। जहां पीजी में पढऩे वाले स्टूडेंट्स बतौर एमबीबीएस डॉक्टर्स अपनी सेवाएं देते हैं।
वहीं दूसरी तरफ बंध (बांड) पत्र के तहत एमडी व एमएस के बाद एक साल के लिए डाक्टरों को अनिवार्य रूप से सरकारी अस्पतालों में सेवा देनी होती है। इस तरह हर साल 300 पीजी बंध पत्र चिकित्सक मिलेंगे। जिससे प्रदेश के जिला अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी दूर होगी।
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