Papaya Farming: पपीता की खेती से चमकेगी किसानो की तकदीर, खेती का यह तरीका कर देगा मालामाल, देखे .देश के किसान परम्परागत खेती छोड़ अब नगदी और अधिक लाभ देने वाली फसलों की खेती करतेहै। जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है। ऐसे में आज हम आपको पपीते की खेती के बारे में जानकारी लेकर आये है जो आपको अच्छा मुनाफा दे सकती है। पपीता भारत में सबसे प्रचलित और अधिक खाया जाने वाला फल है। इसकी खेती किसान बड़े ही सरलता से कर सकता है आइये जानते है उसके बारे में विस्तार में।
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पपीते की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
आपको जानकारी के लिए बता दे की पपीते की खेती गर्म तथा ठण्ड दोनों तरह के जलवायु में आसानी से की जा सकती है। लेकिन इस दौरान उस इलाके का तापमान 10 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। तभी फसल अच्छा उत्पादन दे सकेगी। बता दे की अधिक ठण्ड के कारण पपीता में आसानी से पला रोग लग जाता है. जो फसल के लिए काफी नुकसान दायक होता हैं।
पपीते की खेती के लिए उपयुक्त मिटटी
अगर आप भी पपीते की खेती करना चाहते हो तो इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त दोमट या हल्की दोमट मिटटी मानी जाती है।मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7 तक हो तो यह बेहतर उत्पादन देती है।साथ ही इस बात का ध्यान रखे की पपीते के खेत में पानी जमा न हो इसके लिए पहले से ही पानी के निकासी की व्यवस्था कर ले।
पपीते की उन्नत किस्मे
अगर आप भी पपीते की खेती करना चाहते है तो हम आपके इसकी उन्नत किस्मो के बारे में बताते है जो आपको बेहतर मुनाफा दे सकती है। औद्योगिक रूप से महत्व की किस्में जिनके कच्चे फलों से पपेन निकाला जाता है, पपेन किस्में कहलाती हैं इस वर्ग में महत्वपूर्ण किस्में सी. ओ- 2 ए सी. ओ- 5 एवं सी. ओ- 7 है। इसके साथ दूसरा महत्वपूर्ण वर्ग है टेबिल वैरायटी या जिनको पकी अवस्था में काटकर खाया जाता है। यह किस्मे आपको देगी तगड़ा मुनाफा।
पपीते की खेती में कीटो की रोकथाम
पपीते की बुवाई करते समय रखे इन बातो का रखे खास ध्यान पौधों की बुआई से पहले जाँच करें की पौधा स्वस्थ है कि नहीं। बुआई के बाद रोग ग्रस्त पौधों को खेत से निकाल कर बहार फेक दें. सफ़ेद मक्खी की नियंत्रण के लिए उपयुक्त कीटनाशक का प्रयोग करें।
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पपीते की खेती से उत्पादन
अगर आप उचित तरीके से पपीता की खेती करते है की पौधों की अच्छी बढवार तथा देखभाल करने से 40 – 50 किलो प्रति पौधा उत्पादन देता है। पपीते की प्रति हेक्टयर राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादकता 317 कि./हे. है.जो किसानो की आय को काफी बढ़ा देता है खेती का यह तरीका कर आप भी मालामॉल हो सकते है।