Rice New Price: नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ ही महीने पहले देश से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब हाल ही में सरकार ने रिटेल कीमत को काबू में रखने के लिए और डोमेस्टिक सप्लाई बढ़ाने के इरादे से टूटे चावल के निर्यात (Rice Export Ban) पर प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल सरकार ने खरीफ सत्र में धान की बुवाई के रकबे में गिरावट आने की वजह से चावल का उत्पादन 60 लाख टन से 70 लाख टन कम रहने का अनुमान लगाया है। मालूम हो कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में रिकॉर्ड 13.029 करोड़ टन का चावल उत्पादन (Rice Production) हुआ था।
यह देश के कुल चावल निर्यात को कितना प्रभावित करेगा?
Rice New Price:भारत ने अप्रैल से मार्च 2021-22 में 9.66 अरब डॉलर मूल्य के 21.21 मिलियन टन चावल का रिकॉर्ड निर्यात (Rice Export) किया था। इसमें 3.54 अरब डॉलर का 3.95 मिलियन टन बासमती चावल (जिस पर कोई प्रतिबंध नहीं है) और 6.12 अरब डॉलर मूल्य का 17.26 मिलियन टन गैर-बासमती शिपमेंट शामिल हैं। निर्यात शुल्क से गैर-बासमती चावल का निर्यात 30 लाख टन तक कम हो सकता है। वहीं 20 फीसदी निर्यात शुल्क से निर्यात से प्राप्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
Rice New Price: चावल की कीमतों में लाइ भारी गिरावट, जानिए विस्तार से
ग्राहकों की हालत को देख सरकार ने लिया बड़ा फैसला
Rice New Price:बाजार में महंगे चावल खरीदने के बाद लोग इंतजार कर रहे हैं धान की नई फसल (Paddy New Crop) का। लेकिन, धान की नई फसल आने के बाद भी चावल की कीमतों (Rice Price) में कमी के आसार नहीं हैं। इसकी वजह इस साल धान की पर्याप्त बुवाई नहीं हो पाना है। दरअसल पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में इस साल सूखे जैसे हालात हैं। इन राज्यों में सूखे की वजह से धान की बुवाई ही नहीं हो पाई है। मतलब कि अगले साल भी चावल के दाम चढ़े रहेंगे।

Rice New Price:अगस्त बीतने को है, लेकिन धान की बुवाई पिछले साल जितनी भी नहीं हुई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में चालू खरीफ मौसम में धान की बुवाई जोर पकड़ नहीं रही है। बीते 18 अगस्त तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो धान का रकबा 8.25 फीसदी घट गया है। मंत्रालय के मुताबिक उस दिन तक देश भर में धान की बुवाई 343.70 लाख हैक्टेअर में ही हुई थी जो कि पिछले साल के 374.63 लाख हैक्टेअर के मुकाबले 8.25 फीसदी कम है।

जून में शुरू हो जाती है धान की बुवाई
Rice New Price:खरीफ की फसलों की बुवाई जून में ही शुरू हो जाती है। उसी समय दक्षिण पश्चिमी मानसून का आगमन होता है। धान खरीफ मौसम का प्रमुख फसल है। किसान भी इस पर खास जोर देते हैं क्योंकि प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में लोगों का प्रमुख खाद्य पदार्थ चावल ही है। हालांकि इसका अपवाद हरियाणा और पंजाब है। वहां धान की पैदावार तो खूब होती है लेकिन वे अधिकतर धान बाजार के लिए उगाते हैं। तब भी यदि भारत के प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों पर नजर डालें तो पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम और हरियाणा प्रमुख हैं।