क्या थी सती प्रथा?
यह एक ऐसी प्रथा थी जिसमें पति की मौत होने पर पति की चिता के साथ ही उसकी विधवा को भी जला दिया जाता था। कई बार तो इसके लिए विधवा की रजामंदी होती थी तो कभी-कभी उनको ऐसा करने के लिए जबरन मजबूर किया जाता था। पति की चिता के साथ जलने वाली महिला को सती कहा जाता था जिसका मतलब होता है पवित्र महिला।
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मुगल काल में रोक
मुगलों के शासनकाल में सबसे पहले हुमायूं ने इस प्रथा पर रोक के लिए कोशिश की। उसके बाद अकबर ने सती प्रथा पर रोक लगाने का आदेश दिया। चूंकि महिलाएं स्वेच्छा से भी ऐसा करती थीं, इसलिए उन्होंने यह भी आदेश दिया कि कोई भी महिला अपने मुख्य पुलिस अधिकारी से विशिष्ट अनुमति लिए बगैर ऐसा नहीं करती हैं।
Sati Pratha: अकबर को लेकर इतिहास में कहानी वर्णित है कि इसने भारत मे सती प्रथा पर रोक लगाई थी और महिलाओं के लिए हितकारी काम किया। लेकिन इसके पीछे की कहानी कुछ और हैं भारत मे सती प्रथा थी राजपूत राजाओं की पत्नी अपने पति के साथ सती हो जाती थी हालाकि यह व्यवस्था गलत थी और इसे खत्म करने के लिए राजा राममोहन राय ने काफी मशक्कत की और अपने संघर्ष के चलते भारतीय महिलाओं को सती प्रथा से निजात दिलाया। लेकिन जिस प्रकार से कहा जाता है कि सती प्रथा को खत्म करने के लिए पहला कदम अकबर ने उठाया था वह बिल्कुल गलत था क्योंकि इसका इसे रोकने के पीछे का उद्देश्य बिल्कुल अलग था यह इसे रोककर राजवंशी राजकुमारों और राजाओं को मरवाकर उनकी बीवियों को अपने हरम में रखना चाहता था और उनके साथ संभोग करना चाहता था।

सती प्रथा रोकने के पीछे अकबर का क्या इरादा था इसका उदाहरण इतिहास में देखा जा सकता है। जब राजकुमार जयमल की हत्या हुई तो इनकीं पत्नी घोड़े पर सवार होकर सती होने जा रही थी। अकबर ने रास्ते मे उसे पकड़ लिया और उनके सगे संबंधियों को कारागार में भेज दिया और उनको अपने हरम में भेज दिया। वही पन्ना के राजकुमार का कत्ल कर अकबर ने उनकी पत्नी का अपहरण कर लिया और उन्हें अपने हरम में ठूस दिया व उनके साथ अभद्र व्यवहार किया।