SINGRAULI – कोयला में मिलावट का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोयला ट्रांसपोर्टरों पर ठंड पड़ी कार्रवाई इसका नतीजा माना जा रहा है। वर्तमान में बरगवां कोल यार्ड में जमकर मिलावट हो रहा है।
मिलावट के बाद कोयला ट्रेनों में लोड कर विद्युत उत्पादक कंपनियों को भेजा जा रहा है। मिलावट के इस खेल में एक ओर जहां कोयला की गुणवत्ता खराब हो रही है।
SINGRAULI वहीं दूसरी ओर मिलावट के इस काले कारनामे से कारोबारी हर रोज लाखों रुपए की काली कमाई कर रहे हैं। कोयला में मिलावट के लिए ट्रांसपोर्टर सीधी के बहरी से स्टोन डस्ट ला रहे हैं।

SINGRAULI हर रोज दर्जन भर भारी वाहन स्टोन डस्ट लेकर बरगवां कोल यार्ड पहुंच रहे हैं। बहरी से स्टोन डस्ट की रवानगी निजी उपयोग में लाने का हवाला देकर किया जाता है।
बताया गया कि एक ट्रक स्टोन डस्ट की मिलावट की जाती है तो उसी के तौल के अनुरूप कोयला निकाल लिया जाता है। इससे कोयला के वजन पर कोई असर नहीं पड़ता है।
इधर एक ट्रक कोयला की कालाबाजारी में तीन लाख रुपए तक की काली कमाई हो जाती है। कोयला वाराणसी के लिए भेजा जाता है।
SINGRAULI करीब छह महीने पहले बरगवां कोलयार्ड ( SINGRAULI ) में ट्रांसपोर्टरों के काले कारनामे पर स्थानीय प्रशासन और खनिज विभाग की ओर से जुर्माना लगाने की कार्रवाई की गई थी।
कार्रवाई के बाद से कुछ महीनों तक काला कारनाम बंद रहा, लेकिन ट्रांसपोर्टर फिर से मनमानी पर उतर आए हैं। उनकी मनमानी पर जिला प्रशासन गौर नहीं कर रहा है।
मिलावट के बाद कोयला ट्रेनों में लोड कर विद्युत उत्पादक कंपनियों को भेजा जा रहा है। मिलावट के इस खेल में एक ओर जहां कोयला की गुणवत्ता खराब हो रही है।
वहीं दूसरी ओर मिलावट के इस काले कारनामे से कारोबारी हर रोज लाखों रुपए की काली कमाई कर रहे हैं। कोयला में मिलावट के लिए ट्रांसपोर्टर सीधी के बहरी से स्टोन डस्ट ला रहे हैं।
SINGRAULI हर रोज दर्जन भर भारी वाहन स्टोन डस्ट लेकर बरगवां कोल यार्ड पहुंच रहे हैं। बहरी से स्टोन डस्ट की रवानगी निजी उपयोग में लाने का हवाला देकर किया जाता है।
बताया गया कि एक ट्रक स्टोन डस्ट की मिलावट की जाती है तो उसी के तौल के अनुरूप कोयला निकाल लिया जाता है। इससे कोयला के वजन पर कोई असर नहीं पड़ता है।
इधर एक ट्रक कोयला की कालाबाजारी में तीन लाख रुपए तक की काली कमाई हो जाती है। कोयला वाराणसी के लिए भेजा जाता है।
करीब छह महीने पहले बरगवां कोलयार्ड ( SINGRAULI ) में ट्रांसपोर्टरों के काले कारनामे पर स्थानीय प्रशासन और खनिज विभाग की ओर से जुर्माना लगाने की कार्रवाई की गई थी।
कार्रवाई के बाद से कुछ महीनों तक काला कारनाम बंद रहा, लेकिन ट्रांसपोर्टर फिर से मनमानी पर उतर आए हैं। उनकी मनमानी पर जिला प्रशासन गौर नहीं कर रहा है।
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