SODIUM ION BATTERY :आज के वक्त में सोलर पावर और पवन ऊर्जा के जरिए पावर तो हासिल की जा रही है, लेकिन जब आसमान में बादल हों या रात हो या फिर हवा ना चले, उस वक्त पावर कैसे मिलेगी? इसी वक्त सबसे ज्यादा काम आती है इलेक्ट्रिक बैटरी, जो अधिक ऊर्जा होने पर उसे स्टोर करती है और फिर जरूरत पड़ने पर सप्लाई करती है। इलेक्ट्रिक बैटरी की जरूरत बहुत अधिक बढ़ने की वजह से अब एक के बाद एक कंपनी इस क्षेत्र में घुस रही है। इसी बीच अब कई कंपनियां लीथियम आयन के विकल्पों की भी तलाश करने लगी हैं, क्योंकि यह बैटरी बहुत अधिक महंगी पड़ती है। यही वजह है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल बहुत अधिक महंगे होते हैं। खैर, अब बहुत सारी कंपनियां सोडियम आयन बैटरी बनाने की दिशा में काम कर रही हैं, जो सस्ती पड़ेगी। यही वजह है कि पिछले ही साल दिसंबर में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ब्रिटिश फर्म फेराडियन को खरीदा था। अब सवाल ये है कि आखिर सोडियम आयन बैटरी के लिए इतनी बेचैनी क्यों? आइए समझते हैं कि सोडियम आयन बैटरी की ओर कंपनियां अपना फोकस क्यों बढ़ा रही हैं।
SODIUM ION BATTERY का मतलब गरीबों का लीथियम

लीथियम की बैटरियां सोडियम से बेहतर हैं, लेकिन लीथियम की कीमत बहुत अधिक है, क्योंकि इसकी सप्लाई लिमिटेड है, जबकि डिमांड बहुत अधिक है। आज के वक्त में लैपटॉप-मोबाइल से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल तक में लीथियम बैटरियों का इस्तेमाल होता है। 2012 के दौरान इसकी कीमत करीब 4500 डॉलर प्रति टन था, जो आज के वक्त में करीब 80 हजार डॉलर प्रति टन हो गया है। वहीं दूसरी ओर सोडियम हाइड्रॉक्साइड की कीमत करीब 800 डॉलर प्रति टन है। वहीं दूसरी ओर दुनिया में लीथियम की तुलना में सोडियम का भंडार सैकड़ों गुना अधिक है। यानी एक तो सस्ता, ऊपर से सप्लाई में बहुत अधिक। आसान शब्दों में समझें तो सोडियम गरीबों का लीथियम है। जहां एक ओर लीथियम दुनिया में हर जगह नहीं हैं, वहीं सोडियम हर जगह है। भारत में एक बड़ी समुद्री तट होने के चलते भारत के पास भी इसका बड़ा भंडार है।
कितनी सस्ती हो जाएंगी इलेक्ट्रिक कारें?
अगर लीथियम की बात करें तो यह सोडियम की तुलना में करीब 100 गुना महंगा है। लीथियम 80 हजार डॉलर प्रति टन है, जबकि सोडियम 800 डॉलर प्रति टन है। अगर बात इलेक्ट्रिक कारों की करें तो यह बैटरी की वजह से ही इतनी अधिक महंगी होती हैं। एक इलेक्ट्रिक व्हीकल में आधी से अधिक कीमत तो बैटरी की ही होती है। अब आप समझ ही सकते हैं कि अगर बैटरियां 100 गुना तक सस्ती हो जाएंगी तो इलेक्ट्रिक व्हीकल कितने अधिक सस्ते हो सकते हैं।
तो फिर हर कोई सोडियम बैटरियां क्यों नहीं कर रहा इस्तेमाल?
भले ही सोडियम का दुनिया भर में खूब भंडार है और वह बेहद सस्ता है, लेकिन इसकी अपनी कई खामियां हैं। लीथियम की तुलना में सोडियम आयन बैटरियां कम ऊर्जा स्टोर कर सकती हैं। इस तरह अगर आपको लीथियम आयन की बैटरी जितनी ऊर्जा चाहिए तो उससे काफी भारी बैटरी की जरूरत होगी। वहीं लीथियम आयन बैटरी की तुलना में उसकी उम्र भी कम होती है। वहीं दूसरी ओर लीथियम आयन बैटरी को हजारों बार चार्ज-डिस्चार्ज किया जा सकता है। सोनी ने पहली बार 1991 में रिचार्ज की जाने वाली लीथियम बैटरी वाला वीडियो कैमरा लॉन्च किया था। तब से लेकर अब तक लीथियम आयन बैटरी में बहुत सारे इनोवेशन हुए हैं, जिससे वह काफी अधिक बेहतर हो चुकी है। सोडियम आयन बैटरी की बात करें तो अभी उस क्षेत्र में बहुत अधिक काम करने की जरूरत है।
इसलिए भी बेहतर विकल्प है सोडियम आयन बैटरी
सोडियम आयन बैटरी के कई फायदे हैं। एक तो सोडियम का भंडार बहुत बड़ा है, वहीं दूसरी ओर इसे निकालना बहुत आसान है। इन्हीं सब के चलते इसकी कीमत बहुत अधिक है। इसके अलावा सोडियम आयन बैटरियों में कोबाल्ट की जरूरत नहीं होती, जो लीथियम में इस्तेमाल होता है। आपको बता दें कि मध्य अफ्रीका में कोबाल्ट की माइनिंग बहुत मुश्किल से होती है, जिसमें इंसानों की जान पर खतरा भी बना रहता है।
कितनी एनर्जी स्टोर होती है सोडियम आयन बैटरी में?भले ही सोडियम आयन बैटरी लीथियम की तुलना में कम एनर्जी स्टोर करती है, लेकिन अभी भी वह एसिड बैटरियों से बहुत बेहतर है। वहीं जहां पर चीज को बहुत अधिक हल्का बनाने की जरूरत नहीं है, वहां पर आसानी से सोडियम आयन बैटरियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। फेराडियन का दावा है कि उसकी बैटरियां प्रति किलो 160 वॉट-आवर की एनर्जी स्टोर कर सकती है। यह लीथियम आयन फॉस्फेट तकनीक वाली लीथियम बैटरियों के लगभग बराबर है। यानी अगर सोडियम आयन बैटरियों में भी लीथियम आयन बैटरियों की तरह लगातार रिसर्च होतीी है तो यह भी बेहतर बन जाएगी।
सोडियम आयन बैटरी सस्ती जरूर है, लेकिन लीथियम की तुलना में कम प्रभावी है। ऐसे में अगर आपको चीजों को बेहतर ऊर्जा देने वाला और हल्का बनाना है तो लीथियम आयन बैटरियों की जरूरत हमेशा रहेगी। मुमकिन है कि आने वाले वक्त में टॉप कारों, लैपटॉप, मोबाइल, कैमरा आदि में लीथियम बैटरी मिलेगा, लेकिन तमाम ई-व्हीकल्स में सोडियम आयन बैटरी लीथियम की जगह ले ले। यानी आने वाले दिनों में लीथियम और सोडियम दोनों ही तरह की बैटरियां अलग-अलग कामों के लिए और अलग-अलग सेगमेंट के लिए इस्तेमाल होंगी। सोडियम आयन बैटरियों का इस्तेमाल कारों को किफायती बनाने, बसों, ट्रकों, ट्रैक्टर या अन्य जगहों पर किया जा सकता है।
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