Vidur Niti: महाभारत काल के कई ऐसे पात्र है जिन्हें आज भी याद किया जाता है इन्हीं प्रमुख पात्रों में से एक महात्मा विदुर भी है इनका सम्मान मित्र तो क्या शत्रु भी करते हैं महाभारत काल के सबसे अधिक विद्वानों में इनका नाम शामिल है ये बेहद न्यायप्रिय माने जाते थे इनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी महाभारत काल में हुआ करती थी इनकी नीतियों को जो भी अपने जीवन में उतार लेता है
Vidur Niti: वह सफल और सरल जीवन जीने की ओर अग्रसर हो जाता है महात्मा विदुर की धर्म शीलता को देखते हुए उनहें धर्मराज का अवतार भी माना गया है विदुर हमेशा से ही सत्यवादी रहे महात्मा विदुर ने अपना पूरा जीवन सत्स के राह को समर्पित किया था उनकी यही खूब उन्हें प्रशंसा और सम्मान का पात्र बनाती है महात्मा विदुर और हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र के बीच होने वाली वार्तालाप को ही विदुर नीति के नाम से जाना जाता है विदुर नीति में ईश्वर प्राप्ति का भी सरल और सर्वोत्तम मार्ग बताया गया है तो आज हम इसी पर चर्चा कर रहे है तो आइए जानते है।
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Vidur Niti: विदुर जी का सम्मान तो भगवान श्रीकृष्ण भी करते थे एक बार जब हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र ने विदुर जी से पूछा की महाभारत के युद्ध का परिणाम क्या होगा। तब विदुर ही पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने कहा कि यह युद्ध केवल विनाश लेकर आएगा इसलिए हे राजन इसे रोक सको तो रोक लो नहीं तो इतिहास कभी क्षमा नहीं करेगा।

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Vidur Niti अनुसार ईश्वर प्राप्ति का सबसे उत्तम उपाय सत्य का मार्ग है जिस पर चलकर मनुष्य ईश्वर के दर्शन कर सकता है और स्वर्गगामी होता है। महात्मा विदुर अपनी नीति में कहते हैं कि जिस तरह समुद्र को पार करने के लिए एक नाव की जरूरत होती है ठीक उसी तरह से स्वर्ग की प्राप्ति के लिए मनुष्य को सत्य मार्ग के सिवाए कोई दूसरा मार्ग नहीं है। विदुर नीति अनुसार जो मनुष्य इस बात को नहीं समझता है उसका सम्पूर्ण जीवन व्यर्थ हो जाता है ऐसे मनुष्य का चित सदैव ही भटकता रहता है उसे कहीं पर भी शांति की प्राप्ति नहीं होती है और न ही ये लोग ईश्वर से खुद को जोड़ पाते है।