World Aids Day: साल के आखिरी महीने के पहले दिन ही विश्व एड्स डे मनाया जाता है। इस दिन का मकसद साफ है। इस दिन लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है। आपको बता दें, हर वर्ष 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाते हैं।
एड्स एक वायरल डिजीज है जो सीधे व्यक्ति के इम्यूनिटी पर वार करता है। जी हां, ये व्यक्ति के शरीर को खोखला बना देता है। इस बीमारी का कारण एचआईवी वायरस है। इसके आक्रमण के बाद व्यक्ति किसी भी अन्य बीमारी को झेलने के काबिल नहीं बचता है। अंततः व्यक्ति की जान चली जाती है।

आपको बता दें, एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसका पूर्ण इलाज आज तक नहीं मिला है। कुछ ऐसी दवाइयां हैं जिससे व्यक्ति की इम्यूनिटी पावर को स्ट्रांग किया जा सकता है।
WORLD AIDS DAY
WORLD AIDS DAY: देश का पहला केस 1986 में आया था सामने
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WORLD AIDS DAY: आपको बता दें, एचआईवी एक गंभीर संक्रमण है। इसे रोकने के लिए कई सारे मुहिम चलाए जाते हैं। एचआईवी का पता सबसे पहले 1981 में लगाया गया था। वहीं भारत में इसका पहला केस 1986 में आया था। चेन्नई की एक सेक्स वर्कर्स इस बीमारी से संक्रमित हुई थी। 1986 में कई सारे देशों में एचआईवी वायरस अपना पाऊं पसार चुका था। ये बात जानकर आपको हैरानी होगी कि भारत एचआईवी के संक्रमण मामलों में पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर है।
जानें एड्स से जुड़े कुछ आकंड़ें
एक रिसर्च में पाया गया था कि पूरे 10 साल में भारत के 17 लाख लोग एचआईवी के संक्रमण से संक्रमित हुए हैं। इसका कारण असुरक्षित यौन संबंध था। वहीं एक सर्वे के दौरान पता चला कि 2011 से 2021 के बीच 15,782 लोग ऐसे हैं जो खून के जरिए संक्रमित हुए हैं। वहीं 4,423 बच्चे मां के दूध के एचआईवी के शिकार हुए हैं।
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WHO की एक रिसर्च में पाया गया है कि इस बीमारी से लाखों की संख्या में लोग संक्रमित होते हैं। वहीं 2021 के आखिरी तक पूरी दुनिया के 3.84 करोड़ लोग एचआईवी के चपेट में आ चुके हैं। वहीं 2021 में 6.5 लाख लोगों की मौत हो हुई थी।

NACO के रिपोर्ट्स के अनुसार 2021 में भारत के 62,967 लोग एचआईवी के संक्रमण से संक्रमित हुए थे। इसमें से 41,968 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें आंकड़ा निकाला गया कि हर रोज 115 लोगों की मौत एचआईवी के कारण हो जाती है।
जानें कैसे फैलता है ये वायरस
एचआईवी वायरस कई सारी चीजों से फैलता है। अगर व्यक्ति असुरक्षित यौन संबंध बनाता है तो इसका खतरा काफी बढ़ जाता है। वहीं एचआईवी का खतरा असुरक्षित खून के संबंध में भी आने से बढ़ जाता है। इसके अलावा भी ये मां की संक्रमित दूध से बच्चों में फैलता है और संक्रमित इंजेक्शन से भी शरीर में प्रवेश करता है।
इस वायरस से संक्रमित होने से व्यक्ति में फ्लू के लक्षण की दिखाई देते हैं। इस संक्रमण के लक्षण बुखार, गला खराब, कमजोरी जैसे ही हैं। अगर यहां पर इलाज न करवाया जाए तो ये बीमारी बढ़ कर एड्स बन जाता है। तब इस पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है।
एड्स के क्या हैं लक्षण
एड्स के स्टेज पर पहुंचने के बाद संक्रमित का वजन घटने लगता है, अचानक बुखार आना, रातों में पसीना आना, अधिक थकान महसूस होने लगता है।
इन 3 स्टेज में बंटा है एड्स
1. एड्स की पहली स्टेज
एड्स की पहली स्टेज में व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित होता है। इस स्थिति में व्यक्ति अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। इस स्टेज में सिर्फ फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं। इसके बाद ये लक्षण ठीक हो जाते हैं। मगर ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और जांच करवा लेना चाहिए। वरना भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
2. एड्स की दूसरी स्टेज
आपको बता दें, एड्स की दूसरी स्टेज करीब 8 से 10 साल बाद आती है। तब तक व्यक्ति में कोई भी लक्षण नहीं दिखते हैं। इस दौरान सिर्फ व्यक्ति संक्रमण फैला सकता है। वायरस शरीर में लंबे समय तक एक्टिव रहता है। इसके लक्षण कई सालों के बाद व्यक्ति के दिखाई देते हैं।
3. एड्स की तीसरी स्टेज
अगर एचआईवी का पता लगते ही व्यक्ति इलाज शुरू कर दें तो इस स्टेज तक पहुंचना मुश्किल है। ये एचआईवी का सबसे खतरनाक स्टेज है। यहां के बाद व्यक्ति का अधिक दिनों तक बच पाना मुश्किल हो जाता है। तीसरी स्टेज में एड्स पूरे शरीर में फैला जाता है। अगर इस समय भी सही से इलाज न करवाया जाए तो कुछ ही दिनों में व्यक्ति की मौत हो जाती है।